तारक मेहता का ठरकी चश्मा – 1

TMKOC Sex Stories यह कहानी शुरू होती है मुंबई शहर की एक आम सी दिखने वाली सोसाइटी के कुछ परिवारों से। बहार से तो यह सोसाइटी बाकी सब की तरह बिल्कुल आम सी दिखती थी। तो ऐसा क्या खास था इसमें? खास थे इनके लोग और उनकी कामेच्छा। इस कहानी के आगे के भागों में पता चलेगा की मैंने ऐसा क्यू कहा। कैसे एक मुंबई के रहने वाले गुजराती बिजनेस मेन जेठालाल की शादी गाव की अनपढ़ लड़की दया भाभी से हो गई। उनकी सुहागरात कैसी हुई? तो पढ़िए आखिर कैसे हुई शुरुआत जेठालाल और Daya Bhabhi Sex जीवन की।  

      सबसे पहले हम जानेंगे एक कहानी के मुख्य परिवार के बारे में। जो एक गुजराती परिवार है और उनकी मुंबई में इलेक्ट्रॉनिक्स की दुकान है। पैसों की कोई दिक्कत नहीं है। परिवार में कुल 4 लोग है लेकिन हमारे काम के सिर्फ 3। परिवार के मुखिया है एक 70 साल के बुजुर्ग जिन्हें घर के लोग बापूजी कहते है या सोसाइटी के लोग चाचा जी। उनकी आयु के हिसाब से चाचा जी ने अपनी सेहत का काफी अच्छा ध्यान रखा है। वे हर रोज़ सुबह गार्डन मैं चलने और योगा करने जाते है। इतने सालों की मेहनत से उनका शरीर आज भी एक 35 साल के जवान आदमी जैसा ही है। परिवार का दूसरा सदस्य है उनका बेटा जेठालाल। एक 38 साल का गुजराती व्यापारी जिसे जीवन में सिर्फ 3 चीजों का शोख है, धंधा करना, बढ़िया खाना खाना और तीसरा शोख बाद में बताता हूँ। जेठालाल के खाने के शोख और कसरत न करने की आदत उनके शरीर पर साफ़ दिखती थी। वो 38 की उम्र में भी 50 के दिखते थे। फिर आती है उनकी पत्नी दया। गाव की सीधी साड़ी महिला जिसके लिए उसका पति ही भगवान है। अगर वो दिन को रात कह दे तो दया वो भी मान लेती। लेकिन दया और जेठालाल का शादी शुदा जीवन कुछ खास था नहीं। जवानी में जेठालाल को मुंबई आना था धंधा करने के लिए लेकिन उनके बापूजी के पास इतना पैसा था नहीं। वैसे भी चाचा जी को अपने बेटे को अकेले मुंबई जैसे शहर भेजना नहीं था। तो उन्होंने तरकीब निकली और जेठालाल को दहेज का लालच देकर कहा की वो शादी कर ले और दहेज के पैसों से अपना धंधा शुरू करें। पैसों की लालच में जेठालाल ने अपनी होने वाली बीवी का मुंह तक नहीं देखा, बात करना तो बहुत दूर है। लेकिन जेठालाल शादी के तुरंत बाद किसिको कुछ भी कहे बिना, दहेज के पैसे लेकर मुंबई के लिए रवाना हो गया। बेचारी नई नवेली दुल्हन दया अपने पति की राह देखती रेह गई। जेठालाल सालो तक मुंबई अकेला रहा, उसके दिमाग पर पैसों का भूत सवार था। कभी-कभी वो गाव में अपने बापूजी को चिट्ठी लिख देता। लेकिन उसमें भी कभी अपनी बीवी का जीकर नहीं किया। दया बेचारी मासूम और लाचार बन कर अपने ससुर की सेवा करती रहती। यह सब बापूजी को दिख रहा था। लेकिन गलती भी उनकी थी, उन्होंने ही अपने बेटे को यह राह पर चलाने के लिए मजबूर किया था। देखते ही देखते 5 साल बीत गए। एक दिन अचानक जेठालाल बड़ी सी गाड़ी में गाव आया। उसका रूदबा देख कर सब दंग रह गए।

      उसने अपने बापूजी को कहा “बापूजी, चलिए आप मेरे साथ। अब गाव में रहने की कोई जरूरत नहीं है। मेरे 5 साल की मेहनत रंग लाई है। मैंने अपना इलेक्ट्रॉनिक्स का बहुत बाद व्यापार शुरू किया है। अपना खुद का घर भी ले लिए है एक बड़ी सोसाइटी में। आप अब मेरे साथ ही रहेंगे”।

बापूजी “ठीक है बेटा। मेरी तो अब उम्र हो गई है। अब तू जैसा कहेगा, वैसा ही होगा”।

      बापूजी ने दया को बुलाया और मुंबई जाने के लिए समान बांधने को कहा। जेठालाल ने 5 साल बाद अपनी बीवी को पहली बार देखा था। उस वक्त दया सिर्फ 26 साल की थी। उस वक्त भी दया सर झुका कर ही खड़ी थी। उसने अपने पति की आँखों में भी नहीं देखा। बस बापूजी के कहने पर हाँ में सर हिला दिया। उसके पहनावे को देख कर कोई भी कह सकता है की वह एक गाव की अनपढ़ लड़की है। पढ़ा लिखा तो जेठालाल भी नहीं था। लेकिन उसको मुंबई की हवा लग चुकी थी। इन 5 सालों में उसने वहाँ का रहन सहन, तौर तरीके सब सिख लिया था। शायद यही वजह थी की आज पहली बार अपनी पत्नी को देख कर भी जेठालाल खुश नहीं था। मुंबई की अप्सराओं के सामने दया कुछ भी नहीं थी। या फिर जेठालाल जिस सोसाइटी में रहता था वह उसे कोई पसंद था? कुछ घंटों बाद वो 3 सब सामान लेकर मुंबई के लिए रवाना हो गए। मुंबई पहुँच कर अपनी सोसाइटी में जाकर जेठालाल ने बापूजी और दया को उनका घर दिखाया। वहाँ पहुँच कर ही दया घर के कामों में लग गई। उसने आधे दिन में ही घर संभाल लिया। दिक्कत हुई रात को। जेठालाल और दया की शादी को 5 साल हो चुके थे लेकिन आज तक वे दोनों ने एक दूसरे से बात तक नहीं की थी। और अब उन्हें एक कमरे में साथ सोना पर रहा था। दया तो मन ही मन खुश थी। जिस पल का उसने 5 साल इंतज़ार किया था वो पल आज आ गया था। वो घर के सब काम निपटा कर खुश होती हुई कमरे गई तो जेठालाल पहले से सो गया था। दया के सारे ख्वाब वही के वही चूर हो गए। लेकिन वो क्या करती, वो एक गाव की सीधी साड़ी औरत थी जिसने बहार की दुनिया देखी ही नहीं थी। दया भी चुप छाप जा कर जेठालाल के बगल में सो गई। जेठालाल का यह बर्ताव 1 महीने तक चला। रोज रात को जेठालाल जल्दी सो जाता या घर इतना देर से आता की Daya Bhabhi Sex के विचार करते थक कर खुद जल्दी सो जाती। उनके बीच बात चित शुरू हुई लेकिन सिर्फ जेठालाल के काम तक सीमित रहती। बापूजी यह सब देख रहे थे। वे अपनी बहु से तो यह सब नहीं कह सकते थे लेकिन उन्होंने जेठालाल से बात करना सही समझ। एक दिन जब जेठालाल दुकान से वापिस आया तो बापूजी ने उसे बुलाया और कहा “देख जेठीया, मैं मानता हूँ की पैसे लेकर शादी करने के लिए मैंने ही तुझे कहा था पर इसका यह मतलब नहीं है की तू अपनी बीवी को कुछ समझे ही ना। वो भी एक इंसान है और अपनी पूरी दुनिया छोड़ कर तेरे साथ शादी करके आई है। तो उसे खुश रखना और उसकी इच्छाएँ पूरी करना तेरी जिम्मेदारी है। और तुम लोगों को अब बच्चे के बारे में भी सोचना चाहिए”। जेठालाल यह सब पहले से जनता था पर जेठालाल को दया के प्रति कोई शारीरिक आकर्षण ही नहीं था। उसके लिए वह सिर्फ निहायती गवार औरत थी जो उसके घर को संभालती थी।

Daya Bhabhi Sex wearing red saree standing in front of the river in the jungle giving seductive look.
Hot Daya Bhabhi wearing Red Saree and showing her Ass

      उस रात जेठालाल जब बिस्तर में लेटा और Daya Bhabhi Sex के बारे में सोचने लगा। उसे पसंद हो या न हो, दया उसकी पत्नी है तो है। इतनी देर में दया भी कमरे में आ गई। जेठालाल को जगा हुआ देख कर वह खुश हो गई। दया सिर्फ साड़ी पहनती थी। घर में ससुर होने के कारण और गाव के रिवाजों को न भूलते हुए उसने साड़ी के अलावा कुछ और पहनना उसे उचित नहीं समझा ना ही उसे आता था। और तो और वो रात को सोते वक्त कमरे में भी साड़ी ही पहनती। दया जेठालाल के पास बिस्तर में आकर बैठ गई और जेठालाल के कुछ कहने का इंतजार करने लगी। उसकी इच्छा थी की जेठालाल उससे बात करें, एक दूसरे को जानने का मौका मिले, धीरे-धीरे उनके बीच प्यार पैदा हो। लेकिन जेठालाल ने किया बिल्कुल उल्टा।

      जेठालाल ने अचानक दया को धक्का देकर बिस्तर में गिरा दिया और Daya Bhabhi Sex कार्यक्रम शुरू कर दिया। दया कुछ समझ पाती उसके पहले जेठालाल ने दया की साड़ी निकालनी शुरू कर दि। उसने पल्लू को हटाया और ब्लाऊज को आगे से दया के स्तनों के ऊपर कर दिया। दया तो कुछ समझ ही नहीं पा रही थी की उसके साथ यह हो क्या रहा है। जेठालाल ने झुक कर एक स्तन के निप्पल को मुंह में लिया और चूसने लगा। दया के लिए यह नया अनुभव था। उसके शरीर को आज तक किसी ने छूआ नहीं था। ना उसे किसी ने बताया था की Daya Bhabhi Sex होता क्या है। दया का फिगर 32-27-38 का था। उसका चेहरा तो इतना आकर्षक नहीं था पर उसके बाल बहुत ही घने और लंबे थे, जिनसे वो हमेशा बांध कर ही रखती थी। दया से स्तन औसत आकर के ही थे। गाव में पहले से काम करने की वजह से उसकी कमर तो पतली थी लेकिन उसकी गांड उसके शरीर का सबसे आकर्षक हिस्सा थी। वो हमेशा साड़ी पहनती थी पर उसके नितंब इतने बड़े थी की उनकी गोलाई किसी को भी दया की साड़ी के ऊपर से दिख जाती थी। गाव में उसके कई दीवाने थे लेकिन दया ने कभी उस विषय में रुचि नहीं ली। ना उसने कभी अपने शरीर की खूबी की ओर देखा। जेठालाल के निप्पल चूसने की वजह से दया की सिसकियाँ निकालनी शुरू हो गई। थोड़ी देर बाद जेठालाल दया के दूसरे स्तन से खेलने लगा और निप्पल चूसने लगा। दया की साँसे तेज होने लगी। उसे समझ नहीं आ रहा था की उसकी धड़कन इतनी तेज क्यों हो गई है। दया को अपनी चुत में भी कुछ-कुछ महसूस होने लगा था। इस नई अनुभूति से वो बिल्कुल अनजान थी। कुछ देर निप्पल चूसने के बाद जेठालाल उठा और अपना पायजामा और अन्डर्वेर निकाल दिए। उसने ऊपर कुर्ता पहने रखा। कुर्ते की वजह से दया को जेठालाल का लंड दिख नहीं रहा था। बस उसे लगा की कुर्ते के नीचे कुछ खड़ा है। दया बिस्तर में अर्ध नग्न अवस्था में पड़ी हुई थी और जेठालाल के अगले कदम का इंतजार कर रही थी। जेठालाल फिर से बिस्तर में आ गया। दया के पेरो के करीब आ कर उसने दया की साड़ी निकालने के बजाय उसे सीधा घुटनों तक चढ़ा दिया।

      दया को शर्म तो बहुत आ रही थी उसका पति पहली बार उसे नंगा देखने जा रहा था। उसने अपने हाथ अपने मुंह पे रख लिए और मुंह छुपा लिया। उधर जेठालाल ने दया की टांगो को फैलाया। जेठालाल ने जब दया की टाँगे पकड़ी तो देखा दया के पैरों पर घने बाल थे, बिल्कुल लड़कों जैसे। जेठालाल ने उसपर ध्यान ना देते हुए दया की पेन्टी पकड़ी और जोर से खिची। दया को पता नहीं क्यू पर जेठालाल का यह मर्दाना बर्ताव पसंद आ रहा था। पेन्टी जोर से खिचने की वजह से वो फट भी गई। जेठालाल ने पेन्टी कमरे के एक कोने में फेंक दी और दया की चुत को देखने लगा। दया के पैरों की तरह उसकी चुत भी बालों से ढकी हुई थी। दया को किसी ने आज तक बताया नहीं था की अपनी चुत का खयाल कैसे रखते है। जेठालाल को सिर्फ बालों से भरी झाड़ियाँ दिखी। उसके अपने 5 इंच के लंड को हाथ में लिया और सहलाने लगा। जेठालाल के लिए यह Daya Bhabhi Sex करने से ज्यादा जिम्मेदारी थी जो उसे निभानी थी किसी भी हाल में। वो दया के पैरों की बीच आ गया, दया की टांगो को उसकी छाती पे दबा दिया। दया ने तो अपना मुंह अपने हाथों से ढका हुआ था। उसे कुछ दिख नहीं रहा था की जेठालाल क्या कर रहा था, वो तो बस जेठालाल के हर बेइज्जती भरे कदम को प्यार समझ रही थी। फिर जेठालाल ने एक हाथ से अपना लंड पकड़ा और दया की बालों भरी चुत में घुसाने लगा। उसे तो दिख भी नहीं रहा था की चुत का छेद है कहा। वो तो मानो अंधेरे में तीर चला रहा था। थोड़ा ऊपर नीचे आगे पीछे करने के बाद उसे चुत का मुंह महसूस हुआ। उसने न आव देखा न ताव, लगाया जोर का झटका। दया कुंवारी थी। उसे तो पहली बार सेक्स करने का दर्द मालूम भी नहीं था। लेकिन जैसे जेठालाल का लंड 3 इंच अंदर तक घुस गया, दया की कुँवारे पन की दीवार को तोड़ता हुआ। जिसकी वजह से दया की चुत से खून निकल के जेठालाल के लंड पे भी लग गया। दया की आँखों के सामने मानो अंधेरा सा छाने लगा। उसकी चुत मानो जलने लगी। उसे लगने लगा की किसी ने गरम लोहा उसकी चुत में डाल दिया हो। दया की आंखों से आँसू बहाने लगे। लेकिन जेठालाल को उसकी परवाह नहीं थी। अब उसे भी कुंवारी चुत मारने में मज़ा आ रहा था।

      जेठालाल बिना परिवार के मुंबई 5 साल तक रहा था। इन 5 सालों में व्यापार के चलते उसने कई बार अपने दोस्त और कस्टमर के लिए रांड बुलवाई थी। उन लोगों के साथ-साथ जेठालाल भी मजे ले लेता था। लेकिन रंडी की चुत और एक कुंवारी औरत की चुत में बहुत अंतर होता है। रंडी की चुत तो इतनी फैली हुई होती है की उसमें एक साथ 2 बड़े लंड घुस जाए फिर भी तीसरे के लिए जगह बच जाए। यहाँ दया की चुत में तो जेठालाल का 5 इंच का लंड भी मुश्किल से घुसा था। जेठालाल ने सोसाइटी की भी कई औरतों के साथ नाजायज संबंध थे। पैसों के चक्कर में घरेलू बीवियाँ भी जेठालाल से चुत मरवाने आ जाती थी। जेठालाल ने अपना हाथ दया के मुंह पर रख दिया ताकि उसकी चीखे कही बापूजी न सुन ले। जेठालाल अपनी सेहत का बिल्कुल ध्यान नहीं रखता था। उसका असर उसके शारीरिक संबंधों पर भी दिखता था। कई बार तो जेठालाल रंडी के सारे कपड़े उतरे उसके पहले ही निढाल हो जाता। कुछ तो पैसा लेने से भी इनकार कर देती। जेठालाल को बुरा तो बहुत लगता पर वो कुछ कर नहीं सकता था। दया के साथ भी वैसा ही हुआ। दया के मुंह पर जेठालाल का हाथ होने की वजह से उसके मुंह से सिर्फ “घू.. घू.. घू..” की आवाज ही आ रही थी। दया का पति के प्रेम का सारा भूत उतर चुका था। उसे समझ आ गया था की उसके पति के लिए वो सिर्फ एक जीवित शरीर है, जिसकी खुद की कोई मर्जी या इच्छा नहीं है। 2 मिनिट तक धक्के मारने के बाद जेठालाल दया की चुत में ही झड़ गया और हाँफते हुए बिस्तर पर गिर पड़ा। ऐसे 2 मिनिट में Daya Bhabhi Sex खतम हो गया। दया तो मानो जैसे बेजान पड़ी रही और रोती रही। जेठालाल ने दया की ओर मुड़कर देखा तक नहीं और बिना नीचे के कपड़े पहने ही दूसरी और करवट ले कर सो गया।

      दया खड़ी भी नहीं हो पा रही थी। बिस्तर का सहारा लेकर जब वो थोड़ी ऊपर हुई तो चद्दर पर लगे खून के धब्बों देख कर हैरान हो गई। उसकी चुत और पैर भी खून से रंगे हुए थे, Daya Bhabhi Sex की पहेली रात के निशान हर जगह थे। दया दीवारों का सहारा लेती हुई बाथरूम तक गई। उसने अपने शरीर पर बचे कूचे कपड़े उतरे और अपने आप को साफ़ किया। चुत तो फट चुकी थी और सूज भी गई थी। नहाने के बाद वो बाथरूम के शीशे के सामने खड़ी हो कर खुद को देखने लगी और कोसने लगी अपनी किस्मत को। जब गाव में उसकी सहेलियाँ लड़कों से चुदवाती थी तो दया ने संयम रखा और सोचा की मेरे सब्र का फल मुझे शादी के बाद मिलेगा। लेकिन आज अपने पति के इस बर्ताव से वो चूर-चूर हो चुकी थी। लेकिन उसका शरीर था तो कामुक, 32 इंच के b कप साइज वाले स्तन, पतली कमर, फैले हुए चूतड़, सर पे घने लंबे बाल, गहरी आंखें, थोड़ा साँवला रंग। फिर उसका ध्यान गया उसके बालों से भरे शरीर पर। गाव में रहने की वजह से कभी उसने अपने शरीर के किसी भी अंग के बाल हटाए नहीं थे। उसके कई शहर की लड़कियों को देखा था और वो कैसे रहती थी वो भी। लेकिन गाव में रहने की वजह से उसने कभी अपना अंग प्रदर्शन नहीं किया। वो सर से ले कर पैर तक पूरे कपड़े पहन कर रहती थी। तो उसे लगा की जेठालाल को उसका बालों से भर बदन पसंद नहीं आया।

      उस पल दया ने मन ही मन ठान लिया की कुछ भी हो जाए, पर वह अपने पति का प्यार पाकर रहेगी। फिर उसने अपने कपड़े पहने और Daya Bhabhi Sex की पहेली रात के खयालों में खो कर सो गई। आगे की कहानी जानने के लिए पढ़ते रहिए TMKOC Sex Stories

Disclaimer: This story is a work of fiction and is intended for entertainment purposes only. The characters, settings, and events portrayed in this story are entirely the product of the author’s imagination. While some elements may be inspired by characters from TV shows, movies, or other media, these depictions are purely imaginative and are not based on any real events or persons.

Any resemblance to actual persons, living or dead, or to any characters from copyrighted works is entirely coincidental. This story is not affiliated with, endorsed, or authorized by the creators, producers, studios, or actors involved in any real-life TV shows, movies, or other works referenced. The use of such characters is strictly for creative expression and fan fiction, and no claim is made to their original creation or intellectual property.

Readers should interpret all characters and events as fictional. This work is not intended to infringe upon any copyright or intellectual property rights, and the author respects the rights of all original creators. If you have any concerns regarding the content, please contact charam-sukh@kaam-vasna.com, and the matter will be addressed promptly.

 

1 thought on “तारक मेहता का ठरकी चश्मा – 1”

  1. Pingback: TMKOC Sex Stories - Daya Bhabhi Sex Story 2

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *